सत्ता जिनकी भूख है, दिलवर उसके यार |
छैल- छबीले हैं सगे बाबा रिश्तेदार ||
चोला हो गेरुआ भले, चोली की चाह |
जटा- जूट चाहिए श्यामल कुन्तक-छाँह ||
राजनीति की मन्थरा थिरा न मन एक |
बाबा- जूते- नोक पर रगड़े नाक विवेक ||
इसको मोदक चाहिए और उसे भी मोद |
राजनीति की रूपसी बाबा जी की गोद ||
देखो लक्ष्मी लोटती लम्पट -चरण -गुलाम |
सेवा में सत्ता खड़ी दासी आठों याम ||
[नीहार -नौसई -अमलदार 'नीहार ']
२२ सितम्बर २०१७
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