परावाङ्मूलचक्रस्था पश्यन्ती नाभि-संस्थिता | हृदिस्था च मध्यमा ज्ञेया वैखरी कण्ठदेशगा ||
सत सत नमन गुरु जीहमारा पथ प्रदर्शक करने के लिए
धन्यवाद भाई विवेकानंदजी! अभी तो शुरुआत की है | सब कुछ व्यवस्थित रहा तो काफी कुछ पढ़ने को मिलेगा | अमलदार 'नीहार'
सत सत नमन गुरु जी
जवाब देंहटाएंहमारा पथ प्रदर्शक करने के लिए
धन्यवाद भाई विवेकानंदजी! अभी तो शुरुआत की है | सब कुछ व्यवस्थित रहा तो काफी कुछ पढ़ने को मिलेगा |
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