गंगा चली पहाड़ को, ऐसा हुआ विकास |
गर्दन कटी गरीब की, मिटी न अब तक आस ||
भीखू भूखा रह गया, नंगा और उदास |
तोंद बड़ीं कुछ हो गयी, जो साहब के ख़ास ||
न्याय-नीति के नाम पर बहुत हुआ अन्धेर |
सच के पहरेदार की दुखी दीन-सी टेर ||
दहशत के साम्राज्य का अब कितना विस्तार?
दुखड़ा रोये न्याय जब जनता के दरबार ||
आँसू दरिया हो गए, पीड़ा हुई पहाड़ |
लोकतंत्र की लाश पर रोये निष्ठा राँड़ ||
बुलबुल बोले बाज से-;तुम तो दया-निधान; |
भोले से विश्वास का पुतला हिन्दुस्तान ||
सोचो-किसके हाथ में भारत की तकदीर |
फटेहाल-सी ज़िंदगी, होगी वह तस्वीर ||
कैसी होगी दासता, कैसे किसके खेल |
राजनीति-रणधीर सब ताने खड़े गुलेल ||
१४ जनवरी, २०१८
[नीहार-नौसई-अमलदार 'नीहार' ]
गर्दन कटी गरीब की, मिटी न अब तक आस ||
भीखू भूखा रह गया, नंगा और उदास |
तोंद बड़ीं कुछ हो गयी, जो साहब के ख़ास ||
न्याय-नीति के नाम पर बहुत हुआ अन्धेर |
सच के पहरेदार की दुखी दीन-सी टेर ||
दहशत के साम्राज्य का अब कितना विस्तार?
दुखड़ा रोये न्याय जब जनता के दरबार ||
आँसू दरिया हो गए, पीड़ा हुई पहाड़ |
लोकतंत्र की लाश पर रोये निष्ठा राँड़ ||
बुलबुल बोले बाज से-;तुम तो दया-निधान; |
भोले से विश्वास का पुतला हिन्दुस्तान ||
सोचो-किसके हाथ में भारत की तकदीर |
फटेहाल-सी ज़िंदगी, होगी वह तस्वीर ||
कैसी होगी दासता, कैसे किसके खेल |
राजनीति-रणधीर सब ताने खड़े गुलेल ||
१४ जनवरी, २०१८
[नीहार-नौसई-अमलदार 'नीहार' ]
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