मंगलवार, 1 जनवरी 2019

हुदहुद बेटा, नीलोफर है बिटिया मौसम की ।

हुदहुद बेटा, नीलोफर है बिटिया मौसम की ।
काली परछाईं के वश में सत्ता शबनम की ॥
पावस और अमावस ने रच साजिश घेर लिया,
आँगन मेरे रात नहाई उतरी पूनम की ।
पूँजीवादी ताकत रानी, है स्याह सियासत
क़फ़स जहाँ पर परवाज़ी मिट्ठू तोते बौड़म की ।
भरा पेट या खाली -देखे, हक़ यह अम्मा का
रखे पीठ पर हाथ पिता-मन, चिंता हमदम की ।
सच का साथ नहीं दे पाती, दुनिया डरती है,
झूठ तानकर सीना चलता, चाँदी चमचम की ।
पागल है 'नीहार' ज़ुबाँ से दिल की बात कहे
खुली हथेली आतिश चूमे, मस्ती दमख़म की ।
[आईनः-ए-ज़ीस्त-अमलदार "नीहार"]

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