बुधवार, 10 अक्टूबर 2018

चमचा-चालीसा के कुछ दोहे-

चमचे की किस्मत भली जाता छींका टूट । 
"म्याऊँ -म्याऊँ" बोलकर मटका लेता लूट ॥ १ ॥
बैल-गधा-कुत्ता कहो, कह लो रँगा सियार ।
कुछ भी कह लो, क्यों सुने पाये पैसे चार ॥ २ ॥
चमचे चाँदी काटते पड़े सुहागा सोन ।
साहब चाईं हो भले कहीं अभागा सो न ॥ ३ ॥
चमचे की चूँ-चूँ भली दिल का वही दलाल ।
साहब को क्या चाहिए जाने सच्चा हाल ॥ ४ ॥
चमचा हो बगुला भले हंसों का सरदार ।
कण्ठी बन सरकार की, मछली कण्ठ उतार ॥ ५ ॥
प्रोफ़ेसर हैरान क्यों मंत्री इण्टर पास ।
धरती अब बंजर बनी आसमान पर घास ॥ ६ ॥
जनता का बजा बजे राजा जुमलेबाज ।
पौ बारह चमचे भले, छले नए अंदाज ॥ ७ ॥
विज्ञापन चमचा बने, बने मीडिया ढोल ।
पूँजी अंडा फूटकर "कूँ-कूँ-कुँकड़ूँ" बोल ॥ ८ ॥
अमलदार "नीहार"

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