बीस ग्राम नमकीन पचाकर पेट चला पाताल।
ब्रेकफास्ट यह, जीभ फेरकर चलो बुलटिया चाल।।
मक्खीचूस व्यवस्था को भी मिलता पानी-खाद।
जोड़-घटाना, गुणा-भाग में गणित खूब उस्ताद।। १।।
मक्खीचूस व्यवस्था को भी मिलता पानी-खाद।
जोड़-घटाना, गुणा-भाग में गणित खूब उस्ताद।। १।।
नथुनी-नग से परवल-कन सँग आलू के छह फाँक।
भोजन में हिस्से में आयी सब्जी एक छटाँक।।
दो तोले की एक कचौड़ी, वह भी केवल चार।
लोन लबालब गुटको प्यारे! बोला भूखा यार।। २।।
भोजन में हिस्से में आयी सब्जी एक छटाँक।।
दो तोले की एक कचौड़ी, वह भी केवल चार।
लोन लबालब गुटको प्यारे! बोला भूखा यार।। २।।
'इनका हिस्सा, उनका हिस्सा-पिछला किस्सा' देख
पढ़ता है अधिकारी पहले, लिखता किस्मत-लेख।।
मस्ती में छुटभैये देखो बजा रहे हैं बीन।
कुछ कागज़ पर, कुछ बाहर हैं-कहीं न तेरह-तीन।। ३।।
पढ़ता है अधिकारी पहले, लिखता किस्मत-लेख।।
मस्ती में छुटभैये देखो बजा रहे हैं बीन।
कुछ कागज़ पर, कुछ बाहर हैं-कहीं न तेरह-तीन।। ३।।
आगे-पीछे, अगल-बगल में सजा रहे दरबार।
चौदह चमचे, बीस बजनियाँ-'हाँ जी, हाँ सरकार'।।
भोले-भाले जो कि बिना मुँह-सिनर सीनियर चार।
ड्यूटी पर तैनात सिपाही, नैया की पतवार।। ४।।
चौदह चमचे, बीस बजनियाँ-'हाँ जी, हाँ सरकार'।।
भोले-भाले जो कि बिना मुँह-सिनर सीनियर चार।
ड्यूटी पर तैनात सिपाही, नैया की पतवार।। ४।।
जाने कितने विद्या-मन्दिर ऐसे ही काॅलेज।
दिल का दिया बुझा देते हैं, जो दिमाग के तेज।।
जिनकी दुनिया में दौलत, जो दौलत के ही राव।
कागज़ पर घोड़े दौड़ाते चिरकुट-चाल चुनाव।। ५।।
दिल का दिया बुझा देते हैं, जो दिमाग के तेज।।
जिनकी दुनिया में दौलत, जो दौलत के ही राव।
कागज़ पर घोड़े दौड़ाते चिरकुट-चाल चुनाव।। ५।।
खजड़ी एक बनाकर मोटे सौ चूहों के चाम।
चरण चाँपकर कजरी गाओ बाबू रामगुलाम।।
जाने वह लाचारी कैसी पूजो पातक-पाँव?
गुरु-गौरव तो केसर-क्यारी क्यों कौड़ी के भाव।। ६।।
चरण चाँपकर कजरी गाओ बाबू रामगुलाम।।
जाने वह लाचारी कैसी पूजो पातक-पाँव?
गुरु-गौरव तो केसर-क्यारी क्यों कौड़ी के भाव।। ६।।
[ जिजीविषा की यात्रा-अमलदार 'नीहार' ]
०७ अक्टूबर २०१७
०७ अक्टूबर २०१७
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