बुधवार, 24 अक्टूबर 2018

कौन बचाये देश?

मक्कारी के मकड़जाल से कौन बचाये देश?
वृक बर्बर की चतुर चाल से कौन बचाये देश?
जालिम झूठे क्रूर काल से कौन बचाये देश ?
दुर्विपाकवाश बुरे हाल से कौन बचाये देश?


न्याय भीत, क़ानून खिलौना, गिरवी है ईमान,
कौन कहाँ दे शरण किसे, जब साँसत में भगवान |
चीख रहा है सत्य सड़क पर घायल लहूलुहान,
धर्म सुरक्षित कहो कहाँ फिर, समय बड़ा शैतान ||


आजादी की स्वप्न-सड़क पर लोकतंत्र की लाश,
शासन की बन्दूक, निशाना माँ जब, सत्यानाश |
कल की बिल्ली दिल्ली बाघिन नोच रही है माँस,
झूठ-कपट, आश्वासन-भाषन-पत्ते बिखरे ताश ||


सहमी-सहमी मानवता ज्यों, चहुँ दिशि हाहाकार,
'मारो-काटो' का हल्ला है, लूट रही सरकार |
नहीं सुरक्षित जीवन-वैभव, इज्जत, सब पर मार,
भारत माता द्रुपद-सुता, हरि हरे पीर 'नीहार' ||

रचनाकाल : १३ जनवरी, २०१८
बलिया, उत्तर प्रदेश
[जिजीविषा की यात्रा-अमलदार 'नीहार' ]

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