नेह-दया-ममता की दानी मेरी भोली दादी माँ ।
थी जैसे परियों की रानी मेरी भोली दादी माँ ॥
थी जैसे परियों की रानी मेरी भोली दादी माँ ॥
स्नेह-सुधारस की बरसातें, अनुभव-रस में भीगी बातें,
कहती थी नित नयी कहानी मेरी भोली दादी माँ ।
कहती थी नित नयी कहानी मेरी भोली दादी माँ ।
आँखों में करुणा लहराती, जैसे खोयी मणि पा जाती
लाल-सदृश मुझको, थी ध्यानी मेरी भोली दादी माँ ।
लाल-सदृश मुझको, थी ध्यानी मेरी भोली दादी माँ ।
इन्द्रधनुष के मेरे सपने थे जैसे उसके ही अपने,
देती थी सपनों को पानी मेरी भोली दादी माँ ।
देती थी सपनों को पानी मेरी भोली दादी माँ ।
मैं भूखा तो भूखी सोयी, मैं प्यासा तो प्यासी रोयी,
ममता मूर्तिमती पहचानी मेरी भोली दादी माँ ।
ममता मूर्तिमती पहचानी मेरी भोली दादी माँ ।
जैसे व्योम उसी का आँचल, सुखदायक, शुभकारी शीतल,
थी वह स्वयं यशोदा रानी मेरी भोली दादी माँ ।
थी वह स्वयं यशोदा रानी मेरी भोली दादी माँ ।
रह सकता कब कैसे रोता? उसका ममता-ओज अनूठा,
भर लेती आँखों में पानी मेरी भोली दादी माँ ।
भर लेती आँखों में पानी मेरी भोली दादी माँ ।
थी कुंकुम केशर-कस्तूरी, उस देही से यद्यपि दूरी,
जीवित जिससे कविता-बानी मेरी भोली दादी माँ ॥
जीवित जिससे कविता-बानी मेरी भोली दादी माँ ॥
[आईनः-ए-ज़ीस्त-अमलदार "नीहार"]
नमन प्रकाशन
४२३१/१, अंसारी रोड, दरिया गंज
नई दिल्ली-११०००२
दूरभाष- ०११-२३२४७००३,२३२५४३००६
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