रसना काल-कराली की जय ! दुष्ट-दलन करवाली की जय !!
बोलो खप्पर वाली की जय ! दृग युग प्रभा निराली की जय !!
भक्त-भीति-रुजघाली की जय ! दुःख-पीनाखु-बिडाली की जय !!
ममता में मतवाली की जय ! जय माँ-जय माँ काली की जय !!
जय हो, जय हो ! जय हो, जय हो !!
भक्त-भीति-रुजघाली की जय ! दुःख-पीनाखु-बिडाली की जय !!
ममता में मतवाली की जय ! जय माँ-जय माँ काली की जय !!
जय हो, जय हो ! जय हो, जय हो !!
श्यामा शक्ति-प्रवर्तन करती-प्रलयताल पर नर्तन करती,
मेघमन्द्र रव नर्दन करती-आसुरवृत्ति-विमर्दन करती ।
संगर रंग तरंग तरंगिणि-अहंकार-अरि-निकुर-निकंदिनि,
वक्र भृकुटि-फूत्कार भुजंगिनि-रंगिणि शोभाशाली की जय !
जय माँ-जय माँ काली की जय !! जय हो, जय हो ! जय हो, जय हो !!
मेघमन्द्र रव नर्दन करती-आसुरवृत्ति-विमर्दन करती ।
संगर रंग तरंग तरंगिणि-अहंकार-अरि-निकुर-निकंदिनि,
वक्र भृकुटि-फूत्कार भुजंगिनि-रंगिणि शोभाशाली की जय !
जय माँ-जय माँ काली की जय !! जय हो, जय हो ! जय हो, जय हो !!
चामुण्डे ! हे मुण्डमालिनी ! रक्तबीज-अस्तित्त्व-घालिनी !
कलि-कल्मष-क्षय-वचनपालिनी ! भक्तों के अघओघ-क्षालिनी !
रक्तबीज के बीज-तिमिंगिल फैले संसृति-सागर में हैं ,
प्रलय तुमुलतम मेतो रविकर प्रखर चाल भूचाली की जय !
जय माँ-जय माँ काली की की जय! जय हो, जय हो ! जय हो, जय हो !!
कलि-कल्मष-क्षय-वचनपालिनी ! भक्तों के अघओघ-क्षालिनी !
रक्तबीज के बीज-तिमिंगिल फैले संसृति-सागर में हैं ,
प्रलय तुमुलतम मेतो रविकर प्रखर चाल भूचाली की जय !
जय माँ-जय माँ काली की की जय! जय हो, जय हो ! जय हो, जय हो !!
शक्ति-शिवा हे उमा-मृडानी ! रमा-गिरा जगदम्ब भवानी !
दुर्गति-नाशिनि दुर्गा-काली ! जग किंकर तू जग की रानी !
कालिदास-वागर्थ सुपावनि, रामकृष्ण गुरु-माँ मनभावनि !
सर्जन-संस्थिति-प्रलय प्रधावनि ! दीन-हीन की आली की जय !
जय हो, जय हो ! जय हो, जय हो !!
ममता में मतवाली की जय ! जय माँ ! जय माँ काली की जय !!
जय हो, जय हो ! जय हो, जय हो !!
दुर्गति-नाशिनि दुर्गा-काली ! जग किंकर तू जग की रानी !
कालिदास-वागर्थ सुपावनि, रामकृष्ण गुरु-माँ मनभावनि !
सर्जन-संस्थिति-प्रलय प्रधावनि ! दीन-हीन की आली की जय !
जय हो, जय हो ! जय हो, जय हो !!
ममता में मतवाली की जय ! जय माँ ! जय माँ काली की जय !!
जय हो, जय हो ! जय हो, जय हो !!
रचनाकाल-१७-०३-२००२
[इन्द्रधनुष-अमलदार "नीहार"(तृतीय रंग), पृष्ठ-५७ ]
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